इस लेख में, हम इन तीन महत्वपूर्ण समूहों के इतिहास, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति, और उन्हें सशक्त बनाने के लिए लागू की गई आरक्षण प्रणाली पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
अनुसूचित जाति (SC)
अनुसूचित जाति, जिन्हें पहले अछूत या दलित कहा जाता था, भारतीय समाज के सबसे हाशिए पर पड़े समुदायों में से एक हैं। उन्हें सदियों से जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता का सामना करना पड़ा है। उन्हें शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक स्थानों तक पहुंच से वंचित रखा गया है।
1950 में भारतीय संविधान के लागू होने के बाद, अनुसूचित जातियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण कदम था आरक्षण प्रणाली का कार्यान्वयन।
आरक्षण प्रणाली के तहत सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में अनुसूचित जातियों के लिए कुछ सीटें आरक्षित हैं। इसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करके उनकी स्थिति में सुधार लाना है।
हालांकि, आरक्षण प्रणाली विवादों से भी घिरी हुई है। कुछ का मानना है कि यह योग्यता के आधार पर भर्ती और प्रवेश को कमजोर करती है, जबकि अन्य का मानना है कि यह अभी भी अपर्याप्त है और अनुसूचित जातियों की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार नहीं ला पाया है।
अनुसूचित जनजाति (ST)
अनुसूचित जनजाति, जिन्हें पहले आदिवासी कहा जाता था, भारत के ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले विविध समुदायों का समूह हैं। वे पारंपरिक रूप से कृषि, पशुपालन और जंगल से प्राप्त संसाधनों पर निर्भर रहे हैं।
अनुसूचित जनजातियों को भी अनुसूचित जातियों की तरह ही सदियों से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित रखा गया है। उन्हें जमीन छीनने, वनों के विनाश और विकास परियोजनाओं के विस्थापन का सामना करना पड़ा है।
भारतीय संविधान के लागू होने के बाद, अनुसूचित जनजातियों को सशक्त बनाने के लिए भी कई कदम उठाए गए। इनमें से एक कदम अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों के अलावा सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में अनुसूचित जनजातियों के लिए भी कुछ सीटें आरक्षित करना था।
हालांकि, अनुसूचित जनजातियों की स्थिति में भी महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ है। वे अभी भी गरीबी, अशिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच का सामना कर रहे हैं।
अन्य पिछड़े वर्ग (OBC)
अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) भारतीय समाज में सबसे बड़े सामाजिक समूहों में से एक है। इसमें विभिन्न जातियों, उप-जातियों और समुदायों को शामिल किया जाता है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए माना जाता है। OBC की स्थिति अनुसूचित जातियों और जनजातियों के मुकाबले बेहतर है, लेकिन वे भी शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमतर प्रतिनिधित्व से जूझते हैं।
1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद सरकारी नौकरियों में OBC के लिए 27% आरक्षण लागू किया गया। इस पहल का व्यापक विरोध हुआ, लेकिन इसने निश्चित रूप से OBC समुदाय के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि की है। हालांकि, अभी भी लंबा रास्ता तय करना बाकी है और कई OBC समुदाय अत्यधिक वंचित और हाशिए पर बने हुए हैं।