इसे हिंदी में “ नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग” कहते हैंI इसका अर्थ “राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद” होता हैI NCERT की स्थापना 27 जुलाई 1961 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा की गई थी. इसने अपना कार्य 1 सितंबर 1961 को औपचारिक रूप से शुरू किया था I इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय विशेष रुप से स्कूली शिक्षा से संबंधी नीतियों पर कार्य करना था I भारत देश में इससे पहले 7 विभिन्न राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान कार्यरत थे I
इन सात संस्थानों के नाम निम्नलिखित हैं:
- केंद्रीय शिक्षा संस्थानI
- राष्ट्रीय मौलिक शिक्षा केंद्रI
- मूल शिक्षा संस्थान नेशनल इंस्टिट्यूटI
- टेक्स्ट बुक रिसर्च केंद्रीय ब्यूरोI
- केंद्रीय शैक्षिक और व्यावसायिक मार्गदर्शन ब्यूरोI
- माध्यमिक शिक्षा के लिए विस्तार कार्यक्रम निदेशालयI
- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ऑडियो-विजुअल एजुकेशन इत्यादि I
इसके द्वारा क्लास 1 to 12 के छात्रों के लिए भिन्न-भिन्न भाषा में प्रत्येक विषयों के लिए किताबें प्रकाशित की जाती है I
इसका प्रमुख उद्देश्य शैक्षिक अनुसंधान को बढ़ावा देने, शिक्षकों की शिक्षा में सुधार करना एवं शिक्षा से जुड़े सभी मामलों में सुधार करना होता हैI
शिक्षा में प्रशिक्षण को सहयोग देना, स्कूलों में एजुकेशन सिस्टम में बदलाव लाना, विकास करना, केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार और Educational Organisations को स्कूल शिक्षा संबंधित सलाह देना इत्यादि इसका प्रमुख कार्य होता है I
इसके प्रमुख उद्देश्यों की सूची निम्न है:
- प्रतियोगी मूल्य शिक्षा
- शिक्षकों की शिक्षा में सुधार
- बचपन की शिक्षा
- व्यवसायिक शिक्षा
- प्राथमिक शिक्षा सार्वभौमिकरण
- छात्रों के विचारों में सुधार करना
- लड़कियों की बाल शिक्षा
- राष्ट्रीय पाठ्य रूपरेखा को लागू करना इत्यादि
1963 में इसे बनाने के बाद इसके अंतर्गत एक राष्ट्रीय विज्ञान प्रतिभा खोज योजना का गठन किया गया I जिसके माध्यम से देश के प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति के रूप में सहायता राशि प्रदान करना एवं उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना इत्यादि जैसे प्रमुख कार्य किया जाता हैI इसके द्वारा एक राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (NTSE) का आयोजन किया जाता है जो कि एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा होती है I इस परीक्षा को माध्यमिक विद्यालय स्तर पर कराई जाती है एवं इसे उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को भारत सरकार द्वारा छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाती है I
एनसीईआरटी क्या करता है?
एनसीईआरटी के कार्यों की सूची विस्तृत है, लेकिन कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
- पाठ्यक्रम विकास: एनसीईआरटी कक्षा 1 से 12 तक के लिए सभी विषयों के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का विकास करता है। ये पाठ्यक्रम भारत के सभी स्कूलों के लिए एक मानक के रूप में काम करते हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का समान वितरण सुनिश्चित होता है।
- शैक्षिक सामग्री निर्माण: एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें, शिक्षक गाइड, ऑडियो-विजुअल सामग्री और अन्य संसाधन विकसित करता है। ये सामग्री आकर्षक, सुलभ और ज्ञानप्रद होती हैं, जो छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बनाती हैं।
- शिक्षक प्रशिक्षण: एनसीईआरटी देश भर में शिक्षकों के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। ये कार्यक्रम शिक्षकों को प्रभावी शिक्षण विधियों, नवीनतम शैक्षिक दृष्टिकोणों और पेशेवर विकास के अवसर प्रदान करते हैं।
- शैक्षिक अनुसंधान: एनसीआरटी शिक्षा प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान करता है। इस अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्षों का उपयोग नीति निर्माण और प्रणाली के सुधार के लिए किया जाता है।
एनसीईआरटी की किताबें इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं?
एनसीईआरटी की किताबें कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं:
- मानक पाठ्यक्रम: ये किताबें राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के अनुरूप तैयार की जाती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि छात्र पूरे भारत में समान विषय वस्तु का अध्ययन कर रहे हैं। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए तैयारी करने वाले छात्रों को समान स्तर का आधार मिलता है।
- विषय विशेषज्ञों द्वारा रचित: एनसीईआरटी की किताबें विषय विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा तैयार की जाती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि पाठ्यक्रम सटीक, अद्यतन और छात्रों की समझ के स्तर के लिए उपयुक्त हो।
- समझने में आसान और रोचक: एनसीईआरटी की किताबें छात्रों को ध्यान में रखकर लिखी जाती हैं। भाषा सरल और समझने में आसान होती है। कई उदाहरण, चित्र और गतिविधियां शामिल की जाती हैं, जो छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में जोड़े रखती हैं।
- सस्ती और आसानी से उपलब्ध: एनसीईआरटी की किताबें पूरे भारत में बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं। साथ ही, उन्हें ऑनलाइन भी मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है। यह गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए ज्ञान तक पहुंच सुनिश्चित करता है।
एनसीईआरटी किताबों की सीमाएं:
यह सच है कि एनसीईआरटी किताबों की कुछ सीमाएं भी हैं। कुछ आलोचकों का कहना है कि उनके पाठ्यक्रम में रटने पर अधिक जोर दिया जाता है, विश्लेषणात्मक सोच और रचनात्मकता को कम महत्व दिया जाता है। इसके अलावा, वे कभी-कभी भारतीय संदर्भों और स्थानीय ज्ञान को शामिल करने में विफल रहती हैं।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एनसीईआरटी किताबें एक आधार हैं, न कि अंतिम लक्ष्य। शिक्षकों को छात्रों को रटने से आगे बढ़ाकर, सोचने, पूछने और चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही, उन्हें स्थानीय संदर्भों और उदाहरणों को पाठों में शामिल करना चाहिए ताकि छात्रों को अपनी दुनिया से जुड़ने का अवसर मिले।
निष्कर्ष:
एनसीईआरटी भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह लाखों छात्रों के लिए ज्ञान का खजाना और सफलता की मजबूत नींव प्रदान करता है। इसकी कक्षा 1 से 12 तक की आकर्षक और सुलभ पाठ्यपुस्तकें, शिक्षक गाइड और अन्य संसाधन छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में जोड़े रखते हैं। इसके शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम सक्षम शिक्षकों को तैयार करते हैं, और इसके शैक्षिक अनुसंधान से निष्कर्षों का उपयोग प्रणाली को बेहतर बनाने में किया जाता है।