ICU full form in hindi

ICU ka Full Form: आईसीयू की फुल फॉर्म क्या है?

published on
July 2, 2024
3 Minutes
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“आईसीयू" का फुल फॉर्म "इंटेंसिव केयर यूनिट" (Intensive Care Unit) है। इसे हिंदी में "गहन चिकित्सा इकाई" कहते हैं। यह अस्पताल का एक विशेष विभाग है जो गंभीर रूप से बीमार या घायल रोगियों की निरंतर निगरानी और उपचार करता है। 

आईसीयू में कौन आता है? 

  • गंभीर बीमारियां जैसे हृदय रोग, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, श्वसन संकट, संक्रमण, आघात इत्यादि से ग्रस्त रोगी यहां उपचार पाते हैं। 
  • दुर्घटना या सर्जरी के बाद जिनकी हालत नाजुक होती है, उन्हें भी आईसीयू में रखा जाता है। 

आईसीयू में क्या होता है? 

  • लगातार मॉनिटरिंग: रोगी के महत्वपूर्ण संकेतों जैसे ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन स्तर, हृदय गति आदि की लगातार निगरानी की जाती है। 
  • वेंटिलेशन सपोर्ट: यदि आवश्यक हो, तो रोगी की सांस लेने में सहायता के लिए वेंटिलेटर का उपयोग किया जाता है। 
  • जीवन रक्षक दवाएं: गंभीर स्थितियों में रोगी को आवश्यक दवाएं और उपचार प्रदान किए जाते हैं। 
  • लगातार निगरानी और उपचार के अलावा, आईसीयू में मानसिक सहायता भी महत्वपूर्ण होती है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे रोगी और उनके परिवार के लिए तनाव और चिंता स्वाभाविक है। अस्पताल का स्टाफ न केवल शारीरिक उपचार, बल्कि भावनात्मक सहारा भी प्रदान कर रोगी के ठीक होने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

आईसीयू में काम करने वाली टीम: 

  • विशेषज्ञ चिकित्सक (क्रिटिकल केयर फिजिशियन) 
  • नर्सिंग स्टाफ 
  • फिजियोथेरेपिस्ट 
  • रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट 
  • अन्य सहायक कर्मचारी 

आईसीयू में काम करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन बेहद संतोषप्रद भी। यहां हर सफल उपचार, हर बचाई गई जान चिकित्सकों और स्टाफ के समर्पण और कौशल की जीत का प्रमाण होती है। यह उन अनगिनत घंटों का प्रतिफल है जो मशीनों की रोशनी में बीते हैं, रोगियों के साथ जुड़े हैं, और जीवन की हर सांस के लिए लड़े गए हैं। 

आईसीयू में निम्नलिखित प्रकार के रोगी भर्ती किए जा सकते हैं: 

  • गंभीर बीमारियों जैसे हृदय रोग, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, श्वसन संकट, संक्रमण, आघात आदि से ग्रस्त रोगी। 
  • दुर्घटना या सर्जरी के बाद जिनकी हालत नाजुक होती है। 

आईसीयू में निम्नलिखित प्रकार के उपचार प्रदान किए जा सकते हैं: 

  • लगातार मॉनिटरिंग: रोगी के महत्वपूर्ण संकेतों जैसे ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन स्तर, हृदय गति आदि की लगातार निगरानी की जाती है। 
  • वेंटिलेशन सपोर्ट: यदि आवश्यक हो, तो रोगी की सांस लेने में सहायता के लिए वेंटिलेटर का उपयोग किया जाता है। 
  • जीवन रक्षक दवाएं: गंभीर स्थितियों में रोगी को आवश्यक दवाएं और उपचार प्रदान किए जाते हैं। 
  • अन्य उपचार: जैसे कि ऑक्सीजन थेरेपी, डायलिसिस, एंटीबायोटिक थेरेपी आदि। 

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