DM full form in hindi

DM Full Form in Hindi | डीएम कैसे बनें? डीएम के कार्य क्या हैं? जानें

published on
July 2, 2024
6 Minutes
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डीएम अंग्रेजी में District Magistrate जबकि हिंदी में इसे जिलाधिकारी कहा जाता है। 

यह अपने आप में एक बहुत ही प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण पद है जो कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत आता है। इसे आप एक आईएएस ऑफिसर या प्रशासनिक सेवा अधिकारी के रूप में भी जानते होंगे। 

डीएम क्या होता है?

डीएम का पूरा नाम जिला मजिस्ट्रेट होता है। यह एक ऐसा प्रशासनिक अधिकारी होता है जो किसी जिले का प्रशासनिक प्रमुख होता है। जिला मजिस्ट्रेट के पास जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने, विकास कार्यों को आगे बढ़ाने, जनहित की रक्षा करने, चुनाव प्रक्रिया का संचालन करने और आपदा प्रबंधन के कार्यों का संचालन करने की जिम्मेदारी होती है। 

जिला मजिस्ट्रेट भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का एक अधिकारी होता है। आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ही कोई व्यक्ति जिला मजिस्ट्रेट बन सकता है। 

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जिला मजिस्ट्रेट के पास निम्नलिखित शक्तियां और कर्तव्य होते हैं: 

  1. कानून-व्यवस्था बनाए रखना: जिला मजिस्ट्रेट जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। वह जिला पुलिस बल की तैनाती और कार्रवाई के आदेश दे सकता है। वह धारा 144 लागू कर सकता है, जो सार्वजनिक समारोह, जुलूस या सभाओं को रोकने के लिए एक शक्तिशाली कानून है। 
  2. विकास कार्यों का संचालन करना: जिला मजिस्ट्रेट जिले में विकास कार्यों का संचालन करने के लिए जिम्मेदार होता है। वह राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को जिले में लागू करता है। वह जिले के संसाधनों का समुचित आवंटन करता है। 
  3. जनहित की रक्षा करना: जिला मजिस्ट्रेट जिले में जनहित की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार होता है। वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। वह उनकी शिकायतों का निवारण करता है। 
  4. चुनाव प्रक्रिया का संचालन करना: जिला मजिस्ट्रेट लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनावों का संचालन करने के लिए जिम्मेदार होता है। वह चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने के लिए कदम उठाता है। 
  5. आपदा प्रबंधन: जिला मजिस्ट्रेट प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यों का संचालन करने के लिए जिम्मेदार होता है। वह राहत सामग्री पहुंचाने और पुनर्निर्माण के कार्यों को सुनिश्चित करता है। 

जिला मजिस्ट्रेट एक महत्वपूर्ण पद है और जिले के प्रशासन और विकास में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 

डीएम कैसे बनें? 

भारतीय प्रशासनिक सेवा में स्थान बनाने के लिए संघ लोक सेवा द्वारा आयोजित सिविल सर्विस परीक्षा पास करनी होती है जो कि देश की सबसे बड़ी और कठिन परीक्षा होती है। 

जो लोग यूपीएससी की सिविल परीक्षा पास कर लेते हैं। उन्हें आईएएस, आईपीएस और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति दी जाती है। ज्यादातर लोगों का चुनाव आईएएस का होता है क्योंकि इसी के अंतर्गत व्यक्ति डीएम या जिलाधिकारी बनता है। 

जिला अधिकारी पूरे जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है जोकि जिले के विकास और सरकारों द्वारा पास कानून को अपने जिलों में लागू करने के लिए बाध्य होता है। इसके अतिरिक्त पूरे जिले के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि महत्वपूर्ण सेवाओं से जुड़ी जिम्मेदारी भी जिलाधिकारी की ही होती है। 

अगर आपके मन में भी डीएम बनने की इच्छा हो रही है तो इसके लिए आपको सिविल सर्विस एग्जाम पास करना होगा। सिविल सर्विस एग्जाम में बैठने के लिए आपके पास न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के रूप में स्नातक होना आवश्यक है। अन्यथा आप इस परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं। 

यह परीक्षा पास करने के बाद आपको अपनी रैंक के अनुसार आईएएस के लिए चयनित किया जाता है जिसके अंतर्गत आपको डीएम का पद मिलता है। 

इस परीक्षा में निम्नलिखित तीन चरण होते हैं:- 

1- प्रारंभिक परीक्षा 

सिविल सर्विस एग्जाम के अंतर्गत प्रारंभिक परीक्षा में कुल 2 पेपर होते हैं। यह दोनों ही पेपर बहुविकल्पी प्रकार के होते हैं। सभी सफल आवेदन करने वाले अभ्यर्थी इसमें बैठते हैं। प्रारंभिक परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट कर मुख्य परीक्षा के लिए बुलाया जाता है। इस परीक्षा को सीसैट के नाम से भी जाना जाता है। 

2- मुख्य परीक्षा 

यह परीक्षा पेन और पेपर पर आधारित लिखित परीक्षा होती है जिसमें कुल 7 पेपर होते हैं। इनमें चार पेपर जीएस यानी जनरल स्टडीज के, 1 पेपर Essay के और 2 पेपर ऑप्शनल सब्जेक्ट के होते हैं। अंतिम मेघा सूची तैयार करने में इन पेपर में प्राप्त अंकों को गणना में लिया जाता है। 

3- साक्षात्कार 

मुख्य परीक्षा में शॉर्टलिस्ट किए गए कुछ उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। जहां पर व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व को परखा जाता है। इसमें आपको आपके प्रदर्शन के अनुसार अंक दिए जाते हैं। अंतिम मेघा सूची तैयार करने में साक्षात्कार में प्राप्त अंकों को भी जोड़ा जाता है। 

जो उम्मीदवार उपरोक्त तीनों चरणों से सफलतापूर्वक निकल जाते हैं। उन्हें दस्तावेज परीक्षण करने के बाद लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकैडमी आफ एडमिनिस्ट्रेशन में 1 वर्ष की ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। 1 वर्ष का ट्रेनिंग खत्म होने के बाद आपको देश के विभिन्न जिलों में रैंक के आधार पर नियुक्ति दी जाती है। 

 

डीएम बनने के लिए आवश्यक योग्यता  

एक अभ्यर्थी को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनने के लिए निम्नलिखित पात्रता मापदंडों और आवश्यक शैक्षिक योग्यताओं को पूर्ण करना होता है:- 

अभ्यर्थी का भारत का नागरिक होना अति आवश्यक है। जन्मे अतिरिक्त अभ्यर्थी के पास भारत के किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के रूप में स्नातक की उपाधि होनी चाहिए। 

जिलाधिकारी बनने के लिए आयु सीमा  

जिलाधिकारी बनने के लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए। साथ ही साथ संघ लोक सेवा आयोग के नियमानुसार अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु 33 वर्ष जबकि अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए 35 वर्ष निर्धारित की गई है। 

आयु सीमा छूट से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप यूपीएससी का ऑफिशल नोटिफिकेशन जरूर पढ़ सकते हैं। 

 

डीएम के क्या-क्या कार्य हैं? 

जैसा हमने ऊपर लेख में चर्चा की कि जिलाधिकारी पूरे जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है। इसके कंधों पर पूरे जिले की कानून व्यवस्था को बनाए रखने के साथ-साथ विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा से जुड़ी जिम्मेदारियां भी होती है। 

जिला-अधिकारी समय-समय पर सभी विकास कार्यो की रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेजता है। मंडलायुक्त के अनुपस्थित होने पर जिला विकास प्राधिकरण के पद पर अध्यक्ष के रूप में जिलाधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाता है। इसके अतिरिक्त वार्षिक अपराध की रिपोर्ट समय-समय पर राज्य सरकार को भी प्रेषित करता है।

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डीएम का मुख्य दायित्व 

एक जिला मजिस्ट्रेट, जिसे जिला कलेक्टर के रूप में भी जाना जाता है, एक सरकारी अधिकारी होता है जो एक जिले या जिलों के समूह में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद धारण करता है। 

उनकी प्राथमिक भूमिका जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना और सरकार के विभिन्न विभागों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करना है। जिला मजिस्ट्रेट के कुछ मुख्य कार्यों में शामिल हैं: 

कानून और व्यवस्था (Law and Order): जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला मजिस्ट्रेट जिम्मेदार है। उनके पास जिले में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आदेश और निर्देश जारी करने का अधिकार है। 

प्रशासन (Administration): जिला मजिस्ट्रेट जिले के समग्र प्रशासन के लिए जिम्मेदार होता है। वे विभिन्न विभागों जैसे राजस्व, सार्वजनिक निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के कामकाज की निगरानी करते हैं। 

आपदा प्रबंधन (Disaster Management): जिले में होने वाली किसी भी प्रकार की प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के प्रबंधन के लिए जिला मजिस्ट्रेट जिम्मेदार होता है। वे प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास प्रदान करने के लिए विभिन्न विभागों और एजेंसियों के साथ समन्वय करते हैं। 

राजस्व प्रशासन (Revenue Administration): जिला मजिस्ट्रेट राजस्व के संग्रह के लिए जिम्मेदार होता है, जिसमें कर, भू-राजस्व और अन्य सरकारी बकाया शामिल हैं। वे भूमि अभिलेखों के रखरखाव और भूमि के स्वामित्व से संबंधित विवादों के निपटारे की देखरेख भी करते हैं। 

चुनाव (Election): जिले में चुनाव कराने में जिलाधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और सुचारू रूप से संचालित हो। 

विकासात्मक गतिविधियाँ (Developmental Activities): जिलाधिकारी जिले के समग्र विकास के लिए जिम्मेदार होता है। वे सड़कों, पुलों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण जैसी विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों की योजना बनाते हैं और उन्हें लागू करते हैं। 

 

निष्कर्ष 

जिला मजिस्ट्रेट भारत के प्रशासनिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे किसी भी जिले के प्रशासन का केंद्र होते हैं और उनके कंधों पर जिले के लाखों लोगों की सुरक्षा, विकास और सुशासन का दायित्व होता है। 

FAQs

1. डीएम का दूसरा नाम क्या है?

डीएम का दूसरा नाम जिलाधिकारी है।

2. डीएम को हिंदी में क्या कहते हैं?

डीएम को हिंदी में जिला मजिस्ट्रेट भी कहा जाता है।

3. डीएम और कलेक्टर में बड़ा कौन है?

डीएम और कलेक्टर एक ही पद के दो नाम हैं। डीएम का प्रयोग उत्तर भारत में अधिक होता है, जबकि कलेक्टर का प्रयोग दक्षिण भारत में अधिक होता है।

4. डीएम का वेतन कितना होता है?

डीएम का वेतन भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वेतनमान के अनुसार होता है। यह वेतनमान कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि अनुभव, शिक्षा, पद, और स्थान

5. 5 जिले के मालिक को क्या कहते हैं?

5 जिले के मालिक को मंडलायुक्त कहा जाता है। मंडलायुक्त 5 या उससे अधिक जिलों का प्रशासनिक प्रमुख होता है।

Key takeaways
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